कुमाउनी भाषाक मानकीकरण किलै जरूड़ी छु ? -ललित तुलेरा
उ त्तराखंडकि कुमाउनी भाषा लै भारतकि भाषाई बिबिधता में खास महत्व धरैं। इंडो-आर्यन भाषा परिवारकि यो भाषा सैकड़ों बर्षोंकि सांस्कृतिक और भाषाई परंपरा कैं समेरी छु, जो आज अस्तित्व और अस्मिताक मोड़ बै ठाड़ि छु। कुमाउनी भाषा कैं आजी तक भारत सरकार द्वारा क्वे आधिकारिक मान्यता नैं दिई जै रइ, और नैं ई यकैं संविधानकि आठूं अनुसूची में ठौर मिलि रई। यस में कुमाउनी भाषाक मानकीकरण भौत जरूड़ी और बखतकि डिमांड छु। कुमाउनी भाषा में कतुकै उप बोलि लै चलन में छन। यों सबै बोलि आपण-आपण इलाकन में मणी-मणी भिन्नता धरनी। य बिबिधताक कारण एक साझा, शिक्षण योग्य और प्रशासन योग्य रूप बिकसित नैं है सकि रइ। यै है अलावा वर्तनी और व्याकरणक क्वे सर्वमान्य मानक नि हुणक वजैल इमें साहित्य रचण, शिक्षा और तकनीकी प्रयोग में लै अड़ंग लागण लागि रौ। ठुलि पड़ताल यो लै छु कि कुमाउनीक सबै उप बोलियोंक अध्ययन आजि तक है नि सकि रय और सबै बोलियोंक समग्र शब्दकोश लै तय्यार करणकि ठुलि दरकार छु। ताकि कुमाउनीक शब्द भनारक सई मूल्यांकन है सको और भाषाक शब्दोंकि लै सटीक गणती है सको। कुमाउनीक मानकीकरण हुण पर कएक...