डॉ. प्रभा पंत ज्यूकि द्वि कुमाउनी किताबनकि समीक्षा
ललित तुलेरा
गद्य- पद्यक सुवादल महकी रौ 'कुमाउनी साहित्य सुगंधिका'
कुमाउनी कैं ल्हिबेर पिछाड़ि करीब तीन दशकन बटी चिताव रई डाॅ. प्रभा पंत ज्यूकि कुमाउनी साहित्यकि किताब ‘कुमाउनी साहित्य सुगंधिका’ कुमाउनी साहित्य संसारक सामणि छु। उनीस कविता और तेर गद्य रचनाओंल किताब द्वी खंड गद्य खंड और पद्य खंड में छु। दुसर खंडाक पन्न फरकूण पर हमूकैं उनार गद्य रचना मिलनी, जनूमें ‘स्यैणि कर सकैं’, ‘पलायन या परगति’, ‘तू म्यर पुठ कन्या’ व ‘तू डाइ-डाई मैं पात-पात’ शीर्षकोंल उनार चार मौलिक लेख, संस्मरण विधा कैं ‘फाम’ नाम दी रौ, जमें ‘मेरि आ्म’ व ‘कुमाउनी ज्यू’ ;साहित्यकार शेर सिंह मेहता ‘कुमाउनी’ पर लेखीद्ध द्वी संस्मरण, बंशीधर पाठक ‘जिज्ञासु’, शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़ ’ व चारू चंद्र पांडे ज्यूकि जीवनी कैं बड़ सीपल लेखि रौ। यैक अलावा उनूल कुमाउनी रचनाकारोंक टैम-टैम पर लेखी किताबनकि भूमिकाओं कैं लै ठौर दि रै। जमें ‘कहानि कुणक सीप और सहुर’ नामल नवीन जोशी ‘नित्यम’ ज्यूक ‘घुघुतकि मा्व’ कहानि संग्रहकि भूमिका, ‘द्वी आँखर’ जगदीश जोशी ज्यूक कविता संकलन ‘चांदि और सुनार’, ‘मेरि नजर में’ नामल मोहन जोशी क कविता संग्रह ‘हुक धैं रे’ और ‘उघड़ी आँखोंक स्वीण’ नामल नवीन जोशी ‘नवेंदु’ क कविता संग्रहकि भूमिकाओं कैं शामिल करि रौ।
किताब पढ़न-पढ़नै यस चिताईं जस कुमाउनी साहित्यक खजानल भरी ठुल भकार मिल गो। य किताब में साहित्याक कएक रूप देखण में मिलनी, जां एक तरफ कएक बिषयों पर प्रतीक, बिंबों वाल कविताक स्वाद मिलूं, तो वांई दुसर तरफ गंभीर चिंतन, सजिल और रोचक भाषा शैली में लेखी लेख, निबंध, जीवनी, फाम (संस्मरण), समालोचनात्मक लेख पढ़न हुं मिलनी। डाॅ. पंत ज्यूल किताब में भूमिका वाल लेखों कैं शामिल करि बेर नई परयास करि रौ।
आखिरकार यई कई जै सकीं कि डाॅ. प्रभा पंत ज्यूक य परयास कुमाउनीक गद्य और पद्यकि लगुल कैं पनपाते रौल, उनरि य मिहनत और परयास लै कुमाउनी कैं अघिल बढून व वीक उदंकार भविष्य कैं सँवारणक उज्याण कामक साबित हल।
कुमाउनी साहित्य सुगंधिका
लेखार- डाॅ. प्रभा पंत
•पैंल संस्करण- 2021
•कीमत- 250/- रूपैं
•पेज-161
•छापनेर-गोलज्यू पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स, अल्मोड़ा
•मो.-9412436306
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कुमाउनी लोक का्थों कैं सँवारणकि भलि जुगुत
दुनी समेत हमार देशाक सैकड़ों गणती भाषाओंक लोक साहित्य चारि कुमाउनी लोक साहित्य लै न्यारै छु। कुमाउनी लोक साहित्य में ‘लोक का्थ’ खाश ठौर धरनी। जस कि सबै जाणनै छन कि लोक काथोंक क्वे लेखार नि मानी जा्न और यों पीढ़ी दर पीढ़ी जाणि को जमान बटी मुखल हमार आ्म-बुबु, इज- बौज्यू बै हमू तक पुज री। य दौरान य लै देखण में औंछ कि इनर रूप काल खंडों में इलाक वाइज बदलते लै रूं। यई इनरि खास बिशेषता हैंछ। ऐन मैन यई सलूक कुमाउनी लोक साहित्य में लोक का्थों दगै लै हई हुनल। इथां जब हम देखण चानू कि कुमाउनी लोक काथों कैं कैलै लिपिबद्ध करि बेर सँवारणकि बुति लै करि रै तो कएक लेखारोंक नौं और किताब देखण हुं मिलनी, जनूमें एक नौं छु- डाॅ. प्रभा पंत। इनूल 2001 में ‘कुमाउनी लोक का्थ’ रूप में 14 कुमाउनी लोक का्थोंकि एक किताब तैयार करै। उ परयास में इनूल हौर लेखारों है अलावा थ्वाड़ अलग काम करौ, उ छी मूल कुमाउनी लोक काथों कैं उनर कुमाउनी रूप दगाड़ै हिंदी भाषा में लै पेश करण। उई तर्ज पर डाॅ. प्रभा पंत ज्यूक ‘पुर्खनैकि सुणाई का्थ’ हमर सामणि छु।
‘पुर्खनैकि सुणाई का्थ’ डाॅ. पंत ज्यूक कुमाउनी लोक साहित्य में लोक काथोंकि दुसरि किताब छु। इमें कुमाउनी समाज में सुणाई जाणी 14 लोक का्थ एकबट्यै रीं। जनूमें ‘भै भुको मैं सिती’,‘आपण भागैल, ‘भौकि अकल’, ‘चल्लाक बुड़ी’, ‘मुट्ठिक धन’, ‘दैंतड़’, ‘दीपाक थान’, ‘इनरू मुया’, ‘हुनक बाप, नि हुनकि इज’, ‘द्योत’, ‘मुसिक ब्या’, ‘राधिका’, ‘ दानि रा्ज’ व ‘स्याव और शेरकि दोस्ती’ चैद लोक का्थ छन। यों का्थ मूल कुमाउनी रूप में छन, दगाड़ै उनर हिंदी में लै अनुवाद करि रौ। किताब में लोक साहित्याक बिद्वोंनोंक व साहित्यकारोंक बिचार लै छन। जनूमें- डाॅ. परमानंद चैबे, डाॅ. प्रयाग जोशी, डाॅ. देव सिंह पोखरिया, चारूचंद्र पांडे, जुगल किशोर पेटशाली, जगदीश जोशी, डाॅ. गुणशेखर छन। डाॅ. प्रभा पंत ज्यूल कुमाउनी लोक काथों कैं धर्म कथा, मानव संबंधपरक कथा, लोक जीवनपरक कथा, मिश्रित कथा कुल चार भागों में लै बांटि रौ।
आंखिरकार य कई जाण चैं कि हमरि लोक थात, हमार का्थों कैं एकबट्यूणक ठुल काम हैरौ। कुमाउनी समाज में सुणाई जाणी लोक का्थ जस कीमती धरौट कैं डाॅ. प्रभा पंत ज्यूल ढुणि-ढुणि बेर आपणि बुद्धी, बिबेकल सँवारणक तरफ भलि बुति करि रै।
पुर्खनकि सुणाई का्थ
•लेखार- डाॅ. प्रभा पंत
•पैंल संस्करण- 250/- रूपैं
•पेज-156
•छापनेर-गोलज्यू पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स, अल्मोड़ा
मो.-9412436306
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