कुमाउनी साहित्य की दो महत्त्वपूर्ण कृतियां : समीक्षा
कुमाउनी साहित्यक दुणी में जतुकै कवि उदुकै कथाकार रूप में पैठ धरणी सशक्त लेखार जगदीश जोशी ज्यूक ‘आँखिरी पात’ और ‘मेरि लेखि चिट्ठि म्यारै नाम’ किताब सामणि ऐरी। कुमाउनी साहित्य कैं नई तराण दिणी पोथि छन, यो दुवै दमदार किताब कुमाउनी अनुवाद और संस्मरण विधाक जरूरी किताबाक रूप में देखां है रईं। यों किताबोंक समीक्षा करनई कुमाउनी युवा समीक्षक- ललित तुलेरा ।
(1).
‘आँखिरी पात’ कुमाउनी साहित्यकि दुणी में भौत खास और बिशेष पोथीक रूप में हमर सामणि ऐ रै। य पोथी यै वील भौत बिशेष छु कि इमें दुनी भरिक 14 कालजयी कहानीकारोंक 14 कहानियोंक कुमाउनी भाषा में अनुवाद करि राखौ। इन साहित्यकारन में साहित्यक नोबेल पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार लै छन।
अमेरिकी साहित्यकार ओ.हेनरी क ‘द लास्ट लीफ’ कहानिक कुमाउनी रूप ‘आँखिरी पात’ आधार पर किताबक नाम पड़ि रौ। य चर्चित कहानि पर ‘ओ. हेनरीज फुल हाउस’ नामल 1952 में चलचित्र बणौ और दुबार 1983 में 24 मिनटकि फिलम बणै। 2013 में बणी बाॅलीवुड फिलम ‘लुटेरा’ लै यई कहानि पर आधारित बणाई गे। साहित्य नोबेल पुरस्कार प्राप्त रूडयार्ड किपलिंगकि कहानि ‘मोती गज’, साहित्य नोबेल पुरस्कार प्राप्त पेरिस साहित्यकार अनातोले फ्रांसकि ‘साग बेेचणी बुड़’, गई द मोपासाकि ‘पुन्यूंकि रात’, मैक्सिकी साहित्यकार जी.एल.‘यूऐन्ट्स’ कि ‘एक्कै खाड़ा पिनाव’, रूसी साहित्यकार लियो टालस्टायकि ‘सांचक गभा भगवान’, नोबेल पुरस्कार प्राप्त पर्ल एस.बककि ‘दुश्मण’, नोबेल पुरस्कार मिली स्वीडिश कहानीकार सेल्मा लागेरलाफकि ‘जिबाइ’, पद्म भूषण रस्किन बौंडकि ‘पतंगी’, स्कौटिस साहित्यकार ए.जे. क्रोनिनकि ‘जनम’, मलयालमी भाषाक साहित्यकार पौजीकारा राफीक ‘सुनू घड़ि’ फ्रांसीसी साहित्यकार अल्फोन्स डोडीकि ‘आँखिरी पाठ’ बांग्ला साहित्यकार शरत चंद्र चटर्जीकि ‘अबरखण’, कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंदकि ‘रिण मुक्ति‘ कहानि शामिल छन।
आँखिरी पात
अनुवादक- जगदीश जोशी
●पैंल संस्करण- 2021
●कीमत-200/- रूपैं
●पेज- 160
●छापनेर- ‘अविचल प्रकाशन’
ऊंचापुल, हल्द्वानी ( उत्ततराखंड)
●मो.- 8630372546
कुमाउनी साहित्य में पैंल बखत अनुवाद में यस ठुल काम है रौ, खासकर कहानि बिधा पर। य जाणन लै जरूरी छु कि कुमाउनी गद्य साहित्य अनुवाद विधा बैई शुरू हई छु। कहानि एक है बढ़ बेर एक छन और उ हैबेर जबरदस्त छु अनुवादक जगदीश जोशीक अनुवाद कला जमें बिशेष छु उनरि ठेट कुमाउनी शब्दनक इस्तमाल व वाक्य बणूनक शिल्प।
आँखिरकार य कूण सई रौल कि ‘आँखिरी पात’ कुमाउनी अनुवाद साहित्य में जरूरी पोथिक रूप में देखां हैरै जो य उज्याण अनुवादकन कैं नई उज और दिशा दे सकलि। ●●●
(2).
जब लेखार आपणि बिती बखतक यादन कैं लेखूं तो य साहित्य कैं हिंदी में ‘संस्मरण’ कई जां और य विधा ‘स्मारक साहित्य’ में गणी जैं। कुमाउनी में यकैं ‘फाम’ लै कई जाणौ। ‘मेरि लेखि चिट्ठि म्यारै नाम’ जगदीश जोशी द्वारा तैयार करी कुमाउनी ‘संस्मरण’ विधाकि पैंल किताब कई जै सकीं। हालांकि य विधा में पैंल संजैत (सामूहिक) किताब ‘फाम’ (2011 ई.) देखां भैछ, जैक संपादन दामोदर जोशी ‘देवांशु’ ल करि रौछ।
किताब में टोटल अठार संस्मरण छन। यों संस्मरण लेखार जोशी ज्यूक नानछनाक रैथमी गौं-खेर्दा बै शुरू है बेर उनर इस्कूली जीवन, कौलेजी दिन, शिक्षक जीवन, साहित्यिक कार्यक्रम और कु़छ खास साहित्यकार व दगड़ियन दगै जुड़ी यादन पर लेखी छन।
मेरि लेखि चिट्ठि म्यरै नाम
लेखार- जगदीश जोशी
●पैंल संस्करण- 2021
●कीमत-200/- रूपैं
●पेज-121
●छापनेर- अविचल प्रकाशन
ऊंचापुल, हल्द्वानी
●मो.- 8630372546
9412714210
‘सहृदय व्यक्तित्व: बंशीधर पाठक ‘जिज्ञासु‘, ‘काल चक्रक तांत्रिक बै मुख्य शिक्षाधिकारी तक’ संस्मरण ‘ब्याण ता्र’ साइक्लोइस्टाइल पत्रिका संपादक अनिल भोज, ‘गिरदा और गिलाड’ गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’, ‘अजनबी: अल्माड़ै गा्वै मावक फूल’ साहित्यकार मोहम्मद अली ‘अजनबी’ व ‘दाज्यू: आ्ब तुमन दगै कब भेट होलि’ संस्मरण डाॅ. शमशेर सिंह बिष्ट पर जुड़ी संस्मरण छन। यों सबै संस्मरण ‘फाम’, ‘उत्तराखंड उद्घोष’, ‘पुरवासी’, ‘दुदबोलि’, ‘पहरू’ और ‘कुमगढ़’ नामाक हिंदी व कुमाउनी पत्रिकान में छपि चुकि गईं।
य कई जै सकीं कि ‘मेरि लेखि चिट्ठि म्यारै नाम’ कुमाउनी स्मारक साहित्यकि ‘संस्मरण’ बिधा में निजी रूप में नई परयास छु जो कि कुमाउनीक एक प्रतिष्ठित लेखारकि कलमल लेखी यसि कृति छु जैमें जीवन छु, सीख छु, पहाड़क जनजीवन छु, संघर्ष छु, साहित्यकि परख छु, रंगमंचकि अवाज छु, बातन कैं पसकणक सीप छु, सहुर छु, संस्मरण बिधा कैं पनपनक आश छु और लै न जाणि के के। ●●●
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