कुमाउनी भाषा के सामर्थ्य को उजागर करती दो किताबें
(पहाड़ी भाषा समूह की प्रमुख भाषा 'कुमाउनी' पर पिछले वर्ष २०२१ में दो खंडों में 'कुमाउनी भाषा : विविध आयाम' किताब दो खंडों में प्रकाशित हुई है। ये दोंनों संपादित पुस्तकें हैं। जिनका संपादन साहित्यकार त्रिभुवन गिरि व डॉ.ललित चंद्र जोशी 'योगी' द्वारा किया गया है। इन दोनों पुस्तकों पर कुमाउनी भाषा में समीक्षकीय नजर डाल रहे हैं युवा लेखक ललित तुलेरा। )
खुशीक बात य छु पहाड़ि भाषान में इनर लिजी फिकरमंद बिद्वानोंल काम करौ और करण लागि रईं। पहाड़ि भाषान में कुमाउनी एक खास भाषा छु। य जाणि बेर छपि-छपि लागैं कि साहित्य मामिल में कुमाउनी में संतोषजनक बुति हुण लागि रै, पर भाषा विज्ञान, व्याकरण, कोश विज्ञान, शोध, मानकीकरण जा्स विषयन पर कम काम है रौ।
पिछाड़ि साल एक किताब द्वी भागन में छपै- ‘कुमाउनी भाषा विविध आयाम’ पैंल खंड और दुसर खंड। यों दुवै कुमाउनीक हित में भौत खास पोथि छन। इनरि भाषा हिंदी छु। किताबक पैंल खंड में मध्य पहाड़ी भाषान पर हिंदी भाषा में लेखी 20 लेख शामिल छन। हुक्का क्लब (लक्ष्मी भंडार) अल्माड़ बै साल 1980 ई. बै उरातार छपणी सालाना पत्रिका ‘पुरवासी' में पिछाड़ि करीब 40 साल में छपी मध्य पहाड़ी भाषा और खासकर कुमाउनी भाषा पर छपी हिंदी में लेखों कैं एकबट्यै बेर किताबक रूप दिई रौ। यों लेख उत्तराखंडाक भाषान पर काम करणी बिद्वानोंक छन।
कुमाउनी भाषा विविध आयाम
(पैंल खंड)
संपादक- त्रिभुवन गिरि
डाॅ. ललित जोशी ‘योगी’
●पैंल संस्करण- 2021
●कीमत-600/- रूपैं
●पेज-203
●छापनेर- अविचल प्रकाशन
ऊंचापुल, हल्द्वानी
● मो.- 9412714210
पैंल खंड में पहाड़ि भाषानक इतिहास, पहाड़ि भाषानक अस्तित्व, उत्तराखंडाक लोक भाषा, कुमाउनी भाषाक उत्पत्ति, कुमाउनी भाषाक इतिहास, कुमाउनी शब्द, कुमाउनी व्याकरण, कुमाउनी भाषाक मानक रूप, कुमाउनी गद्य साहित्य, कुमाउनी भाषाक सर्वेक्षण समेत कएक हौर बिषयन पर भाषा बिद्वानोंक लेख शामिल छन। इन बिषयन पर जो बिद्वानोंक लेख छपी छन, ऊं यो छन:-
तारा चंद्र त्रिपाठी, डाॅ. चंद्र प्रकाश फुलोरिया, डाॅ. एस.सी. टम्टा, प्रेम सिंह नेगी, प्रो. डी.डी. शर्मा, डाॅ. उमा भट्ट, डाॅ. त्रिलोचन पांडे, शिवराज सिंह रावत ‘निसंग’, डाॅ. शेर सिंह बिष्ट, डाॅ.देवीदत्त शर्मा, डाॅ.मन्नू ढ़ौंडियाल, डाॅ.वी.डी.एस. नेगी, डाॅ. भवानीदत्त कांडपाल, डाॅ.देव सिंह पोखरिया, डाॅ. भगवती प्रसाद पुरोहित, दयानंद पंत, डाॅ. दिनेश चंद्र बलूनी, डाॅ. अचलानंद जखमोला, डाॅ. चंद्रमोहन ढौंडियाल, डाॅ.ऊर्वादत्त उपाध्याय, श्रीमती ई रेना वेन रिजन।
दुसर खंड में लोक साहित्य, उत्तराखंड में सांस्कृतिक-भाषाई स्रोत, उत्तराखंडाक लोक भाषान कैं कसिक बचाई जौ, कुमाउनी, गढ़वालीक फिकर, कुमाउनीक बोलि, क्षेत्रीय भाषानक संवर्धन, कवि लोकरत्न पंत ‘गुमानी’, शब्दकोशन में व्युत्पत्तिक महत्व, कुमाउनी हिंदी दगै संबंध, कुमाउनीक संस्कृत मूलक ध्वनि-विज्ञान, कुमाउनी भाषाविद पं. हरिशंकर जोशी, कुमाउनी संस्कार गीतोंकि भाषा, उत्तराखंड में भाषाक आंदोलन, कुमाउनी कैं संविधानकि अठूं अनुसूची में शामिल करूण समेत हौर बिषयन पर हिंदी भाषा में लेखी लेख शामिल छन। यो पोथि में जो भाषाविदोंक लेख शामिल छन, ऊं यो छनः-
डाॅ. डी.डी. शर्मा, डाॅ. शेर सिंह बिष्ट, डाॅ. भवानीदत्त कांडपाल, देवेन्द्र उपाध्याय, डाॅ. गोविंद चातक, डाॅ.त्रिलोचन पांडे, डाॅ. अचलानंद जखमोला, डाॅ. रश्मि दुम्का, डाॅ. दिवा भट्ट, डाॅ. उमा भट्ट, डाॅ. राजेश्वर उनियाल।
यों पोथि में कुमाउनी भाषा पर व्याकरण, मानकीकरण, इतिहास, आदि बिषयन पर मौलिक, शोधपरक लेख शामिल छन। यैक अलावा उत्तराखंडाक भाषाई विरासत, भाषाओं पर चिंता करणी जानकारीपरक लेख लै छन।
कुमाउनी भाषा विविध आयाम
(दुसर खंड)
संपादक- त्रिभुवन गिरि
डाॅ. ललित जोशी ‘योगी’
●पैंल संस्करण- 2021
●कीमत-600/- रूपैं
●पेज-203
●छापनेर- अविचल प्रकाशन
ऊंचापुल, हल्द्वानी
●मो.- 9412714210
आंखिरकार कई जै सकीं कि भाषा पर आधारित यों दुवै किताब कुमाउनीक महत्व, बिशेषता, सामर्थ कैं जाणन में भौत मधतगार छन। यो एक नई प्रयास छु जो कुमाउनी भाषा वैज्ञानिक पक्ष, व्याकरणिक पक्ष, कुमाउनीक संस्कृत- हिंदी दगै तुलनात्मक लेख समेत भाषा, संस्कृति पर जानकारी दिणी लेख छन। कुमाउनी अध्येता, शोधार्थी, लेखार और आम आदिमक लिजी किताब भौत मधतगार छन। य उमीद करण चैं कि यौं दुवै किताब कुमाउनीक बिकास में, कुमाउनीक लोकप्रियता में बढ़ौतरी करण में आपणि खास भूमिका निभाल और आपण महत्ता बणाई धराल। ●●●
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