'कुमाउनी संस्कृति सेवी सम्मान' से सम्मानित होंगी जया डौर्बी



    लोक कलाकार जया डौर्बी को 'कुमाउनी संस्कृति सेवी सम्मान' के लिए चुना गया है। कला के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है। 11, 12 व 13 नवंबर 2022 को हीरानगर, हल्द्वानी (उत्तराखंड) में आयोजित तीन दिवसीय 'राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन' में उन्हें इस सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मेलन कुमाउनी भाषा की प्रसिद्घ मासिक पत्रिका 'पहरू' और 'कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति' की तरफ से आयोजित 14 वां सम्मेलन है।

    राष्ट्रीय स्तर के इस कार्यक्रम में कुमाऊं और देश भर से प्रवासी कुमाउनी साहित्यकार, कुमाउनी भाषा प्रेमी, संस्कृतिकर्मी, कलाकार, चित्रकार शामिल होंगे। सम्मेलन में कुमाउनी भाषा, साहित्य, संगीत, कला पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इस कार्यक्रम में साहित्य, कला, संगीत में योगदान दे रहे शख्सियतों को सम्मानित व पुरस्कृत किया जा रहा है। सम्मेलन में पुस्तक प्रदर्शनी, फोटी प्रदर्शनी, समाचार कटिंग प्रदर्शनी, कला एवं चित्र प्रदर्शनी सहित अन्य कई प्रदर्शनीयां भी लगाई जा रही हैं।

     बचपन से ही कला के प्रति अनुराग रखने वाली जया डौर्बी का जन्म 10 मार्च 1994 को दिल्ली में हुआ था। जया मूलत: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ग्राम बिष्ट कोटुली (रानीखेत) की निवासी हैं। उनके पिताजी चिंतामणी डौर्बी व माता इंदिरा देवी डौर्बी हैं। मास कम्यूनिकेशन में परास्नातक तक पढ़ाई के पश्चात वर्तमान में दूरदर्शन दिल्ली में कार्यरत हैं कला, साहित्य, संगीत, घुमक्कड़ी आदि उनके प्रमुख शौक हैं। अपनी कुमाउनी संस्कृति से खासा लगाव रखती हैं और पहाड़ से प्रेम रखती हैं। दिल्ली में रहकर त्तराखंड की लोक कला ऐपण को नई पहचान दिलाने में योगदान दे रही हैं और साथ ही मधुबनी कला के लिए भी उल्लेखनीय कार्य में जुटी हैं। बिहार की विश्वविख्यात मधुबनी कला के संग उत्तराखंड की लोक कला ऐपण  को एक साथ प्रस्तुत करके कला क्षेत्र में नया प्रयोग के साथ ऐपण कला को नया आयाम दे रही हैं। 'मिथिला ऐपण' और 'मधुबनी शेयरिंग' पेजों द्वारा शोशल मीडिया का उपयोग कला के प्रचार व विकास में जुटी हैं। 




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