बढ़ती मानव आबादी से धरती को खतरा तो नहीं? हम कितने सजग हैं इस ओर : विश्व जनसंख्या दिवस २०२३





● ललित तुलेरा
ई.मेल- tulera.lalit@gmail.com

    रती में मनखियकि बिकास यात्रा में कएक मोड़ आईं। एक बखत छी जब मनखी जङव में अलग-अलग समुदाय में रूंछी। आस्ते-आस्ते उ शहरों में रूण लागौ, जां आबादी लै बढ़ते रै। जब मनखियल जनगणना करनकि तरकीब खोजो तो धरती में मनखियोंकि संख्याक लै जानकारी मिलण लागै। एक बखत छी जब धरती में मनखीयोंकि संख्या एक अरब है लै कम छी। वांई आज धरती में मनखियोंकि गिन्ती आठ अरब है बेर मलि पुजि गे। इतनि ठुलि आबादी हमुकैं कएक समस्या लै ठा्ड़ करनै। 1987 में जब दुनियकि आबादी 5 अरब भै तो बढ़ते जनसंख्याक चिंता कैं देखि बेर साल 1989 में ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम‘ कि ‘गवर्निंग काउंसिल‘ ल 11 जुलाई हुणि ‘विश्व जनसंख्या दिवस‘ क तौर पर मनूणक फैसाल ल्हे। यैकै अघिल साल 1990 में पैंल बार दुनियांक 90 देशन में ‘विश्व जनसंख्या दिवस‘ मनाई गो। तब बै ‘विश्व जनसंख्या दिवस‘ हर बरस 11 जुलाई हुं मनाई जां।

         धरती में मनखियोंक संख्या में इजाफा हुण हमुकैं खुशी दिंछ पर वांई उरातार बढ़न लागी लोगनकि संख्या हमर भविष्यक लिजी अभिशाप लै बणि गे। यैल जां पर्यावरण प्रदूषण हुणौै और वीक वजैल कतुकै मैंस बीमारियोंल दुखी छन और प्रकृतिक सुंदरता लै कम हुनै। वांई यैल बेरुजगारी, भुखमरी, अशिक्षा जा्स ठुल समस्या लै बढ़न लागि रईं। यस बिकट हालितों में जनसंख्या कैं रोकण लै जरूरी कदम हुण चैं। जनगणना में सिरफ मनखियोंकि गणना नि करी जानि बल्कि कएक प्रकाराक सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक आंकड़ इकट्ठ करी जानी ताकि हम एक भल समाज बणै सको।

        दुनी में आज आबादी कैं ल्हि बेर हर देशकि अलग-अलग समस्या छन। क्वे देश आबादी में नानतिनोंक अपेक्षा बुढांक बढ़णी संख्याल परेशान छु तो कैं उरातार घटण लागी जन्मदर सरकारक चिंताक बिषय बणि गे। क्वे देशक लिजी जनसंख्याक बढ़न समस्या छु तो क्वे देशक लिजी आबादीक घटण ख्वार पीड़। यों सबै बिषयों पर लोगोंक ध्यान खैंचणक लिजी और सोच बिचार करणक लिजी जनसंख्या दिवसकि भौत महत्ता छु।



        
        दुनी भर में विश्व जनसंख्या दिवसक दिन परिवार नियोजन, गरीबी, लैंगिक समानता, निरक्षरता, नागरिक अधिकार, इज और भौक स्वास्थ, गर्भनिरोधक दवाईयोंक इस्तमाल जा्स गंभीर बिषयों पर चर्चा करी जैं। विश्व जनसंख्या दिवसक लक्ष्य एक यस दुनियक निर्माण करण छु जां जनसंख्या वृद्धि संतुलित हो, संसाधनोंक स्थायी ब्यवस्ता हो और मनखी व धरतीकि भलाई तय है सको। यई बदलाव और भलाई कैं ध्यान में धरि बेर हर साल जनसंख्या दिवसक थीम धरी जां और य सालक विश्व जनसंख्या दिवसक थीम छु- ‘लैंगिक समानताकि शक्ति कैं उजागर करण: हमारि दुनियकि अनंत संभावनाओं कैं अनलौक करनक लिजी महिला और चेलियोंकि अवाज कैं उच्च उठूण।‘‘

       धरती में मनखी बिकास क्रमक इतिहास मेें मानव आबादी कैं एक अरब तक पुजण में मानव प्रागैतिहासिक और इतिहासाक करीब 2,00000 साल बै जाधेक टैम लागौ और 8 अरब तक पुजण में सिरफ 219 साल और लागीं। य अनुमान लगाई जां कि 10,000 ईसा पूर्व में जब कृषिक शुरूवात भै उ बखत दुनी में 1 मिलियन बै 15 मिलियनक करीब मनखी छी। साल 1950 बै ल्हि बेर 1987 क बीच दुनियाकि आबादी 2.5 अरब बै बढ़ि बेर 5 अरब तक पुजै। साल 2011 में दुनियकि आबादी करीब 7 अरब छी, जो 2023 में बढि बेर 8 अरब है मलि हैगे। य जनसंख्या कैं 7 बै 8 अरब तक बढ़न में 12 साल लागीं। 1987 बै ल्हि बेर 2022 कि यात्रा य छु कि दुनियकि आबादी में तकरीबन 3 अरबकि बढ़ोतरी भै। य साफ छु कि दुनियकि आबादी पछिल कुछेक सालों में भौत बढ़ि गे।

         जनगणनाक आंकड़ोंल पत्त चलूं की संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोषक अनुमानक मुताबिक 2030 तक आबादी 8.5 अरब, 2050 तक 9.7 अरब और 2100 ई. तक करीब 10.4 अरब बै मलि पुज जालि। बर्ष 2022 क आंकड़ोंक हिसाबल दुनियांक आदु है सकर आबादी एशिया महाद्वीप में रैंछ। हमर भारत और चीन में सबसे जादे आबादी रैंछ और यई साल हमर देश जनसंख्याक मामल में पैंल देश लै बणि गो जां सबसे जादे एक अरब चालीस करोड़ है सकर मैंस रूनी। हमर देश वर्तमान में सबसे सकर युवाओं वाल देश लै छु। संयुक्त राष्ट्रकि रिपोर्ट बतैं की कएक देशन में प्रजनन क्षमता में गिरावट ऐरै। जनसंख्या सन 1950 ई. क बाद बै सबसे धीमी दरल बढ़नै। य दर साल 2020 में एक प्रतिशत है लै कम है गे।  17ऊं शताब्दीक बाद जस-जस औद्योगिक क्रांति तेज गतिल बढ़ते गे, उस-उस आबादी में बढ़ते देखण हुं मिलै। पछिल 50 सालों में जनसंख्या वृद्धिक दर और लै तेज है रै। और यैक खास कारण छु चिकित्सा में हई तरक्की और कृषि में हौणी वालि बढ़त।

      संयुक्त राष्ट्रल अनुमान लगै बेर बता कि ऐल बटी 2050 तक आबादी में कुल वृद्धि सब सहारा अफरीकी और कुछेक एशियाई देशों समेत उन देशों में देखण हुं मिललि जां प्रजनन दर जाधे छु। भारत एक युवा देश छु और अघिल 50 सालों तक यसै बणी रौल। 25 साल बै कम उमरक लोग कुल आबादीक 40 प्रतिषत छन। हालांकि देशकि आदु आबादीक उमर 25 बै 64 सालक बीच छु और भारतकि बुजुर्ग हुणी आबादी 65 साल है मलि भौत कम छु। अमेरिका, चीन और जापानक चारि भारत में बुजुर्ग आबादी में तेज वृद्धिक समस्या न्हैंत। भारत में 2100 ई. तक 65 साल बै मलि आबादी में 23 प्रतिशतक वृद्धिक अनुमान छु।

       दुनी में सबसे तेजील जाधे जनसंख्या वृद्धि भारत में हैंछ। आज य भारतकि सबसे ठुलि समस्या लै बणि गे। क्षेत्रफलकि दृष्टिल भारतकि जनसंख्या भौत जाधे छु। जनसंख्या वृद्धिक कएक कारण छन। जस-अशिक्षा, बेहतर चिकित्सा सुबिधा, बाल विवाह, अंधबिश्वास जा्स कएक कारण छन। भारतकि 70 प्रतिशत जनसंख्या गौं में रैंछ। वां जनसंख्या रोकणक उपायोंक प्रयोग नि है पाणक कारण जन्म दर जाधे छु। पर शहरो में रुजगार ढुनणै लिजी गौंक लोगोंक पलायन हुणल शहरोंकि जनसंख्या में वृद्धि हुणै। यैल शहरो में जागकि कमी, पीणी पाणिकि समस्या, बिजुलि और यातायातकि समस्या बढ़ जानी। हमर देष भारत में 2011 कि जनगणनाक अनुसार उत्तर प्रदेश राज्यकि जनसंख्या लगभग 19.98 करोड़ छु जो हौर राज्योंक मुकाबिल में सबसे सकर जनसंख्या छु। साल 1950 बै 1990 क बीच भारतकि जनसंख्या वृद्धि दर द्वी प्रतिशत है जाधे छी। जनसंख्या वृद्धि दर देश में मृत्युदर और जन्मदरक अंतरल निकाली जैं। दगाड़ै आबादी में कुल विस्थापन दरक लै ध्यान धरी जां। आधुनिक भारत में 1872 में पैंल जनगणना भै पर पैंल समकालीन जनगणनाकि शुरूवात 1881 में मानी गे। आजादीक बाद भारत में 1951 में पैंल जनगणना भै।

    पैंली य दिन विश्व जनसंख्या दिवसक दगाड़-दगाड़ै इंसानक बिकास और प्रगति कैं ध्यान में धरि बेर मनाई जांछी पर आ्ब य दिन कैं सिरफ बढ़ती जनसंख्या कैं रोकण और बढ़ती जनसंख्याक खामियों कैं बताते हुए लोगन कैं जागरूक करणक लिजी य दिन मनाई जां।

    जनसंख्या कैं रोकणक लिजी कएक किसमाक काम करी जै सकनी जनूमें कुछेक छन-शिक्षाक प्रसार, परिवार नियोजन, ब्याक उमर बणून, कम नानतिन बणून, सामाजिक सुरक्षा, जीवन स्तर कैं उच्च उठूणक परयास, स्वास्थ सेवा व मनोरंजनक साधन, जनसंख्याक शिक्षा दिण, परिवार नियोजन बै जुड़ी शिक्षा, महिला शिक्षा, यौन शिक्षा, जन संपर्क, जनसंचार माध्यमोंल परचार-परसार आदि कएक उपाय छन।



          
      सकर आबादी हुणल मनखियों कैं कएक किस्माक समस्याओंक सामना करण पड़ू जस- आर्थिक बिकास, रूजगार, आय वितरण, गरीबी और सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, आवास, साफ पाणि, भल खा्ण तक सबनक पहुंच कैं परभावित करूं। एक स्वस्थ समाजक लिजी खत्र कैं रोकण और औणी वालि पीढ़ीक लिजी बेहतर और टिकाऊ भविष्य दिणक लिजी लोगन कैं जादे आबादील जुड़ी जोखिमोंक बार में जागरूकता पैद करण और शिक्षित करूण जरूरी छु।
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