ललित सिंह सिराड़ी और केशर सिंह डंग्सेरा को मिलेगा साहित्य पुरस्कार
अल्मोड़ा। इस वर्ष का ‘राम सिंह लोधियाल स्मृति कुमाउनी साहित्य पुरस्कार’ ललित सिंह सिराड़ी को और ‘गंगा अधिकारी स्मृति कुमाउनी साहित्य पुरस्कार’ केशर सिंह डंग्सेरा को दिया जाएगा। ये पुरस्कार ‘कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति और ‘पहरू’ कुमाउनी मासिक पत्रिका की ओर से आगामी 04, 05 व 06 नवंबर 2023 को पिथौरागढ़ में आयोजित 15 वे ‘राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन’ में दिए जाऐंगे।
समिति सचिव डाॅ. हयात सिंह रावत ने बताया कि पुरस्कार चयन समिति के सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श के बाद इन दोनों साहित्यकारों को कुमाउनी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए चुना गया है।
साहित्यकार ललित सिंह सिराड़ी का जन्म 14 मई 1942 को अल्मोड़ा जिले के ग्राम सिराड़ में माता मोतिमा देवी और पिता गंगा सिंह सिराड़ी के घर हुआ। श्री सिराड़ी कुमाउनी साहित्य में एक जाना पहचाना नाम है। वे लंबे अरसे से कुमाउनी के क्षेत्र में सक्रिय हैं। कुमाउनी साहित्य को आगे बढ़ाने में सिराड़ी का खासा योगदान है। लेखक के रूप में वे गद्य और पद्य दोनी ही विधाओं में समान रूप से कलम चलाते हैं। सिराड़ी ने लेखन में अपनी रचनाओं के लिए सामाजिक स्थिति और सामाजिक यथार्थ को चुना है। अभी तक ललित सिंह सिराड़ी की कुमाउनी और हिंदी में छह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें कुमाउनी में ‘कैल को ठग’ कहानी संग्रह, कुमाउनी गीत संग्रह ‘हाय यो कस जमान आ’, हिंदी में ‘मेरी कविताएं’, ‘वेदनाएं’, ‘अनूभूतियां’ कविता संग्रह और ‘टीपू की याद में’ संस्मरण शामिल हैं।
केशर सिंह डंग्सेरा
साहित्यकार केशर सिंह डंग्सेरा बिष्ट का जन्म अल्मोड़ा जिले के ग्राम तकुल्टी में माता पार्वती देवी और पिता जमन सिंह के घर 03 जुलाई 1955 को हुआ। लंबे समय से कुमाउनी भाषा में लेखन में जुटे केशर सिंह डंग्सेरा कुमाउनी भाषा के प्रति बेहद जागरूक और संवेदनशील हैं। कुमाउनी भाषा के विकास के विकास के अभियान से लंबे समय से जुड़े डंग्सेरा अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को प्रेरित और जागरूक करने का काम कर रहे हैं। कुमाउनी भाषा के संरक्षण और संवद्र्धन में श्री डंग्सेरा का महत्वपूर्ण योगदान है।
सम्मेलन संयोजक डाॅ. अशोक पंत ने कुमाउनी भाषा प्रेमियों, रंगकर्मियों, रचनाकारों से सम्मेलन में प्रतिभाग करने की अपील की है।
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