शशि शेखर जोशी और जनार्दन उप्रेती को मिलेगा पुरस्कार


अल्मोड़ा। इस वर्ष का ‘कुसुम पंत स्मृति कुमाउनी युवा रचनाकार पुरस्कार’ शशि शेखर जोशी को और इस वर्ष का ‘शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ कुमाउनी कविता पुरस्कार’ जनार्दन उप्रेती ‘जन्नूदा’ को दिया जाएगा। ये पुरस्कार ‘कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति और ‘पहरू’ कुमाउनी मासिक पत्रिका की ओर से आगामी 04, 05 व 06 नवंबर 2023 को पिथौरागढ़ में आयोजित 15 वे ‘राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन’ में दिए जाऐंगे।




समिति सचिव डाॅ. हयात सिंह रावत ने बताया कि पुरस्कार चयन समिति के सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श के बाद शशि शेखर जोशी और जनार्दन उप्रेती ‘जन्नूदा’ को कुमाउनी भाषा और साहित्य के विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए चुना गया है।



शशि शेखर जोशी

शशि शेखर जोशी का जन्म माता श्रीमती कमला जोशी और पिता षष्टी दत्त जोशी के घर में 16 सितंबर 1978 को अल्मोड़ा जिले के ग्राम पभ्या में हुआ। बचपन से ही प्रतिभाशाली शशि शेखर कुमाउनी भाषा में देश और अंतरराष्ट्रीय समसामयिक विषयों पर लेखन करते हैं। ‘पहरू’ के संपादक मंडल में सेवा दे रहे जोशी कुमाउनी भाषा के संवर्धन और प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे हैं।


             जनार्दन उप्रेती ‘जन्नूदा’
          
जनार्दन उप्रेती ‘जन्नूदा’ का जन्म पिथौरागढ़ जिले के हुडे़ती गांव में पिता स्व. चंद्रशेखर उप्रेती और माता स्व. लीलावती उप्रेती के घर 13 सितंबर 1959 को हुआ। जनार्दन उप्रेती कुमाउनी भाषा में लंबे समय से लेखन कर रहे हैं। कुमाउनी कविता में अपना दखल रखने वाले जनार्दन उप्रेती के कुमाउनी में अब तक तीन कविता संग्रह ‘पुन्थुरि’, ‘गुदड़ि’ और ‘जमानो बदलि ग्यो’ प्रकाशित हो चुके हैं। जनार्दन उप्रेती ने लोकभाषा में सार्थक काव्य रचा है, जो सहज भी है और संदेशपरक भी। पर्वतीय जनजीवन उसके विविध रूपों, उसके संघर्षों और विसंगतियों को अपने लेखन का हिस्सा बनाने वाले कवि जनार्दन उप्रेती की कविताएं कुमाउनी भाषा में एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। सम्मेलन संयोजक डाॅ. अशोक पंत ने कुमाउनी भाषा प्रेमियों, रंगकर्मियों, रचनाकारों से सम्मेलन में प्रतिभाग करने की अपील की है।

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