उत्तराखंड के परंपरागत बालगीतों की चर्चित किताब का नाम है : घुघुति बासूति

ललित तुलेरा बागेश्वर, (उत्तराखंड) ( ' घुघूति बासूति' इन दिनों बच्चों के बीच ही नहीं वरन आम पहाड़ी के बीच भी खासा लोकप्रिय हुई है। कुछ साल पहले जब यह डीजिटल रूप में प्रस्तुत थी तब भी काफी सराही और पसंद की गई थी। यहां ' घुघुति बासूति ' किताब की समीक्षा की गई है। इस किताब के संकलक हेम पंत , पिथौरागढ़ हैं। समीक्षक ललित तुलेरा हैं। ) आ पनी भाषा, संस्कृति और पहाड़ से गहरा जुड़ाव रखने व पहाड़ी सरोकारों से गहरे जुड़े हेम पंत द्वारा उत्तराखंड के बालगीतों को संकलित करके किताब रूप में छापा गया है। इस पुस्तक का नाम उन्होंने ' घुघूति बासूति' रखा है। वही बालगीत जो बच्चों को रचनात्मकता की ओर खींचते हैं, बच्चों का व्यक्तित्व निर्माण, चरित्र निर्माण और अपने परिवेश, संस्कार और समाज को जानने में मददगार होते हैं। यह किताब उत्तराखंड के कुमाउनी व गढ़वाली समाज में पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप से प्रचलित बालगीतों क...