गिरीश चंद्र जोशी को मिलेगा ‘विक्टोरिया क्राॅस कै. गजे घले पुरस्कार’

पिथौरागढ़। इस वर्ष का ’विक्टोरिया क्राॅस कै. गजे घले पुरस्कार’ गिरीश चंद्र जोशी को दिया जाएगा। यह पुरस्कार ‘कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति और ‘पहरू’ की ओर से आगामी 04, 05 व 06 नवंबर 2023 को पिथौरागढ़ में आयोजित 15 वां ‘राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन’ में दिया जाएगा। पुरस्कार चयन समिति के सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श के बाद अल्मोड़ा निवासी गिरीश चंद्र जोशी को कुमाउनी लेखन में उल्लेखनीय योगदान के लिए चुना गया है। समिति सचिव डाॅ. हयात सिंह रावत ने बताया की पुरस्कार के रूप में उन्हें पांच हजार एक सौ रूपये की नकद धनराशि, अंगवस्त्र व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। 


गिरीश चंद्र जोशी

01 मई 1954 को अल्मोड़ा जिले के ग्रा.-घुराड़ी लोधिया में माता मोहिनी देवी और पिता श्री लीलाधर जोशी के घर जन्मे गिरीश चंद्र जोशी अपनी मातृभाषा कुमाउनी में लेखन में कई सालों से सक्रिय हैं। हिंदी और कुमाउनी में एक समान लेखनी चलाने वाले गिरीश जोशी का कुमाउनी के प्रचार-प्रसार में विशेष योगदान है। कुमाउनी मासिक पत्रिका ‘पहरू’ को देश भर में कुमाउनी जन-जन तक पहुंचाने में गिरीश जोशी का विशेष योगदान है। अभी तक गिरीश जोशी की कुमाउनी व हिंदी में ‘दांडी यात्रा सेनानी पं. ज्योतिराम’, ‘प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी’, ‘कमला की कहानी’, ‘प्रर्थाना और गीत’, ‘अंतहीन होती प्रतीक्षा’, ‘आजादिक लडैंक सेनानी’ प्रकाशित हो चुकी हैं। गिरीश चंद्र जोशी ने समसामयिक विषयों के साथ-साथ सैनिक जीवन की पृष्ठभूमि को भी अपने लेखन का विषय बनाया है।  

    वीर सैनिक विक्टोरिया क्राॅस कैं. गजे घले की स्मृति में वर्ष 2018 से कुमाउनी सैन्य पृष्ठभूमि में उल्लेखनीय कार्य के लिए हर वर्ष दिया जा रहा है। अभी तक इस पुरस्कार से पूरन चंद्र कांडपाल (दिल्ली), ब्रिगे.धीरेश जोशी (हल्द्वानी), घनानंद पांडे ‘मेघ’(लखनऊ), प्रकाश चंद्र पुनेठा (पिथौरागढ़) को पुरस्कृत किया जा चुका है। सम्मेलन संयोजक डाॅ. अशोक पंत ने कुमाउनी भाषा प्रेमियों, रंगकर्मियों, रचनाकारों से सम्मेलन में प्रतिभाग करने की अपील की है।


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