उत्तराखंड की तेरह भाषाओं का शब्दकोश : झिक्कल काम्ची उडायली
( पहाड़ी भाषान पर आ्ब कोश कार्य लै देखीण में ऊणै लागि रौ। यां उत्तराखंड में बोली जाणी भाषाओं पर एक खाश शब्दकोश 'झिक्कल काम्ची उडायली' पर ललित तुलेरा (tulera.lalit@gmail.com ) द्वारा समीक्षा करी जैरै। )
उत्तराखंडकि भाषायी विरासत कैं सँवारणक उज्याण एक नूतन प्रयास छु : झिक्कल काम्ची उडायली
उत्तराखंड कएक संस्कृतियोंकि बाखई छु। यां बुलाई जाणी उत्तराखंडक लोक भाषाओं में कुमाउनी और गढ़वाली द्वी खास भाषा छन, जनार बुलाणियोंकि गणती 40 लाख है सकर छु। यैक अलावा लै उत्तराखंडाक कएक इलाकन में कतुकै बोलि-भाषा छन, जना्र शब्दन कैं इकबट्यै बेर ‘झिक्कल काम्ची उडायली’ नामकि बहुभाषी/ तुलनात्मक शब्दकोश पैंल फ्यार 2017 में देखण में ऐ।
उत्तराखंडाक भाषाओं पर अध्ययन, सर्वेक्षण है रौ पर एक गैल अध्ययनक काम भौत कम है रौ। हालांकि उत्तराखंडाक जनजाति भाषाओं पर अलग से किताब लै देखण में ऐ गईं पर उनूकैं सँवारणक कम जतन करी जैरौ। यस बखत में उत्तराखंडाक भाषानक शब्दन पर कोश तैयार करण भौत ठुलि उपलब्धि रूप में सामणि ऐंछ।
यो कोश में उत्तराखंडाक 13 भाषान कैं शामिल करि रौ। जनूमें- कुमाउनी ( कुमाऊं मंडलक जादातर भाग में बोली जाणी और उत्तराखंडकि दुसरि सबसे जादा बोली जाणी भाषा), गढ़वाली ( गढ़वाल मंडल में सबसे जादा बोली जाणी और उत्तराखंडकि पैंल सबसे जादा बोली जाणी भाषा), जाड़/च्छोङ्सा ( उत्तरकाशी जिल्ल में जाड़ समुदायकि भाषा, जो जांदोङ, निलङ, बगोरी, हर्षिल, घराली, भटवाड़ी, डुंडा आदि इलाकन में बोली जैं), जोहारी ( पिथौरागढ़ जिल्लक मुनस्यारी विकासखंड में जोहार क्षेत्र में बोली जैं, आ्ब यै पर कुमाउनीक भौत प्रभाव छु), जौनपुरी ( टिहरी जिल्लक जौनपुर विकासखंड में जनजातीय समुदायकि भाषा), जौनसारी ( देहरादून जिल्लक जौनसार भाबर में बोल जैं), थारू ( ऊधम सिंह नगर जिल्लक सितारगंज व खटीमा में बोली जाणी जनजातीय भाषा), बंगाणी ( उत्तरकाशी जिल्लकि मोरी तहसीस में मासमोर, कोठीगाड़ी व पिंगल इलाकन में बोली जैं), बोक्साड़ी/बुक्सा ( ऊधम सिंह नगर जिल्लक बाजपुर, गदरपुर, काशीपुर विकासखंड व राम नगर विकासखंडक कुछेक गौंन में बोली जैंछ), मार्च्छा ( चमोली जिल्लक धौलीगंगा घाटी या नीति घाटी बै जोशीमठ तकक इलाक में करीब 47-48 गौनों अलावा माणा घाटीक सात-आठ गौनों में बोली जैंछ), रं-ल्वू ( पिथौरागढ़ जिल्लक दारमा, ब्यांस और चौंदास पट्टियों में बोली जैं। यकें 'दर्मिया', 'दारमा-ल्वू' व 'शौका बोली' नामल लै जाणी जां। ) रवांल्टी ( उत्तरकाशी जिल्लक रवांई क्षेत्र में बोली जैं), राजी ( पिथौरागढ़, चंपावत और ऊधम सिंह नगराक कुछेक गौंन में बोली जैं) छन।
यों भाषान कैं कोश में छपी उत्तराखंडक भाषाई मानचित्र में देखी देखी जै सकीं।
बहुभाषी कोश ‘झिक्कल काम्ची उडायली’ क संपादनक काम उमा भट्ट (नैनीताल) और चंद्रकला रावत (नैनीताल) द्वारा करी जै रौ और भाषाओंक शब्दों कैं एकबटयूणकि बुति अलग-अलग भाषाक जानकारोंल करि रै।
शब्दकोश में दिई भाषा परिवारक आधार पर उत्तराखंडाक भाषाओं कैं तीन समूह में बांटी जैरौ-
०१. आर्य भाषा परिवार-
कुमाउनी, गढ़वाली, जोहारी, जौनपुरी, जौनसारी, बंगाणी, रवांल्टी, थारू व बोक्साड़ी।
०२. तिब्बती-बर्मी परिवाराक भाषा-
जाड़, मार्च्छा, रं-ल्वू।
०३. आग्नेय परिवारक भाषा- राजी।
क्षेत्रीय आधार पर उत्तराखंडाक भाषाओंक द्वी समूह छन-तराई-भाबर क्षेत्राक भाषा- थारू बोक्साड़ी। बकाय सबै भाषा पर्वतीय भाषा छन।
मलि देई भाषा समूह में शामिल भाषाओं में राजी भाषा कैं कुछेक भाषा बिद्वान कुनी कि य तिब्बती-बर्मी भाषा समूहकि भाषा छु और आग्नेय और भारोपीय भाषाओं बै प्रभावित छु। यैक अलावा कुमाउनी क कतुकै शब्द राजी भाषा में शामिल है गई। जोहारी लै कुमाउनी द्वारा भौत प्रभावित हैगे। यसिकै गढ़वाली भाषाक प्रभाव मार्च्छा, जाड़ आदि भाषान में देखींछ।
यो शब्दकोशक नाम में ‘झिक्कल’ शब्द राजी भाषाक छु, जो बहुलता कैं बतूं, ‘काम्ची’ मार्च्छा भाषाक शब्द छु, जैक मतलब छु भाषा, ‘उडायली’ जौनसारी शब्द छु, जैक मतलब टोकरी हुंछ। इनर मतलब है गोय - भौत सा भाषाओंक शब्दनक टोकरी।
यो कोश में 1500 आधारभूत शब्दन पर 22 बिषयों पर शब्द एकबट्याई छन। जनर तेर भाषान में अर्थ दिई छु। आधार शब्द हिंदी छु। य हिसाबल य कोश में हिंदी 14 ऊं भाषा छु। कोश में हर भाषाक सांस्कृतिक शब्दावली, एक लोककथा और हर भाषाक एक छ्वट परिचय लै दिई छु। कोशक अनुक्रम य फोटो में देखी जै सकीं-
भारतीय भाषानक कोश विज्ञान में कएक बहुभाषी या तुलनात्मक कोश देखण में आई छन। जनूमें एक 1961 में विश्वनाथ दिनकर नरवणे द्वारा 'भारतीय व्यवहार कोश' छपवै, जमें भारताक 16 भाषाओंक 40,000 शब्द शामिल छन। तुलनात्मक कोशों पर सर आर.एल. टर्नर द्वारा लै भौत महत्त्वपूर्ण काम करी छु। 'झिक्कल काम्ची उडायली' लै एक तुलनात्मक या बहुभाषी कोश छु। य कोश में आधार भाषा हिंदी कैं धरि रौ। कोश में पैंली हिंदी शब्द दिई छु और फिर उ शब्दक अर्थ तेर भाषाओं में बताई छु, यैक उदाहरण य चित्र में देखी जै सकी-
यो शब्दकोशक सहयोगी लेखार कुमाउनी- राजेश प्रसाद, गढ़वाली- अंबरीश चंद्र चमोली, रमाकांत बेंजवाल, जाड़- सुरेश ममगांई, जोहारी- शेर सिंह पांगती, जौनपुरी- सुरेन्द्र पुंडीर, जौनसारी- इंद्र सिंह नेगी, थारू- सिद्धेश्वर सिंह, रिंकी राणा, बंगाणी- बलबीरसिंह रावत, बोक्साड़ी- जगदीश पंत, हेमंचला, रं-ल्वू- डी.आर. सीपाल, सरोजिनी पांडे, शांति नबियाल, रवांल्टी- महावीर रवांल्टा, राजी- कमलेश उप्रेती, मार्च्छा- इंद्र सिंह फोनिया छन। य टीम द्वारा 2010 में भारतीय भाषा लोक सर्वेक्षण (पी.एल.एस.आई.) अंतर्गत बड़ोदरा कि भाषा संस्था 'भाषा शोध एवं प्रकाशन केन्द्र' ओर बै उत्तराखंडाक 13 भाषाओं पर काम करी गोछी। इनर काम 2014-15 में 'उत्तराखंड की भाषाएं' नामल हिंदी में छपौ और अंग्रेजी भाषा में लै छपौ। य कोश कैं तैयार करणकि सोच यांई बै उपजी छु। बहुभाषी कोश तैयार करण जाधे कठिन छु, य कोश कैं पुर करण में कार्यशालाओं सहार लै लिई छु।
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झिक्कल काम्ची उडायली
(उत्तराखंड की भाषाओं का व्यावहारिक शब्दकोश)
(उत्तराखंड की भाषाओं का व्यावहारिक शब्दकोश)
संपादक- उमा भट्ट, चंद्रकला रावत
● पैंल संस्करण- 2017
● कीमत- 250/- रूपैं
● पेज- 229
● छापनेर- पहाड़, परिक्रमा, तल्लाडांडा, नैनीताल
● फोन- 05942-239162, 9411107450
● कीमत- 250/- रूपैं
● पेज- 229
● छापनेर- पहाड़, परिक्रमा, तल्लाडांडा, नैनीताल
● फोन- 05942-239162, 9411107450
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आंखिरकार य कई जै सकीं की ‘पहाड़' (नैनीताल) ओर बै उत्तराखंडा्क भाषाई बिबिधता कैं सामणि ल्यूण में और उत्तराखंडाक भाषाओंक शब्द सामर्थ दगै परिचय करूण में यो बहुभाषी शब्दकोश एक ठुल प्रयास छु। उत्तराखंडाक भाषान पर य एक ठुल काम हैरो, जकैं एक ठुलि उपलब्धि गणी जै सकीं। हालांकि य कोश में उत्तराखंडाक भाषाओंक शब्द कैं एकबट्यूणक काम वृहद रूप में नि है रय पर यो कोश उत्तराखंडाक भाषाओंक सज- समाव में जरूर बा्ट बतालि। ●●●
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