संदेश

अक्तूबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ललित सिंह सिराड़ी और केशर सिंह डंग्सेरा को मिलेगा साहित्य पुरस्कार

चित्र
  अल्मोड़ा।  इस वर्ष का ‘राम सिंह लोधियाल स्मृति कुमाउनी साहित्य पुरस्कार’ ललित सिंह सिराड़ी को और ‘गंगा अधिकारी स्मृति कुमाउनी साहित्य पुरस्कार’ केशर सिंह डंग्सेरा को दिया जाएगा। ये पुरस्कार ‘कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति और ‘पहरू’ कुमाउनी मासिक पत्रिका की ओर से आगामी 04, 05 व 06 नवंबर 2023 को पिथौरागढ़ में आयोजित 15 वे ‘राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन’ में दिए जाऐंगे।  समिति सचिव डाॅ. हयात सिंह रावत ने बताया कि पुरस्कार चयन समिति के सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श के बाद इन दोनों साहित्यकारों को कुमाउनी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए चुना गया है।                     ललित सिंह सिराड़ी साहित्यकार ललित सिंह सिराड़ी का जन्म 14 मई 1942 को अल्मोड़ा जिले के ग्राम सिराड़ में माता मोतिमा देवी और पिता गंगा सिंह सिराड़ी के घर हुआ। श्री सिराड़ी कुमाउनी साहित्य में एक जाना पहचाना नाम है। वे लंबे अरसे से कुमाउनी के क्षेत्र में सक्रिय हैं। कुमाउनी साहित्य को आगे बढ़ाने में सिराड़ी का खासा योगदान है। लेखक के रूप में वे ग...

डाॅ. दिवा भट्ट और भारती पांडे को मिलेगा साहित्य पुरस्कार

चित्र
  अल्मोड़ा।   इस वर्ष का ‘पुष्पलता जोशी स्मृति कुमाउनी साहित्य पुरस्कार’ डाॅ. दिवा भट्ट को और ‘मुन्नी जोशी स्मृति कुमाउनी साहित्य पुरस्कार’ भारती पांडे को दिया जाएगा। ये पुरस्कार ‘कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति और ‘पहरू’ कुमाउनी मासिक पत्रिका की ओर से आगामी 04, 05 व 06 नवंबर 2023 को पिथौरागढ़ में आयोजित 15 वे ‘राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन’ में दिए जाऐंगे। समिति सचिव डाॅ. हयात सिंह रावत ने बताया कि पुरस्कार चयन समिति के सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श के बाद इन दोनों साहित्यकारों को कुमाउनी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए चुना गया है। डाॅ. दिवा भट्ट           साहित्यकार डाॅ. दिवा भट्ट का जन्म पिथौरागढ़ जिले के ग्रा.-बेलकोट में माता भागीरथी देवी और पिता श्री जयनारायण पांडे के घर 13 मई 1952 को हुआ। हिंदी व कुमाउनी में समान अधिकार से लेखन करने वाली दिवा भट्ट लेखन के क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय हैं। उन्होंने समसामयिक बिषयों के साथ ही जीवन के यथार्थ को अपने लेखन का विषय बनाया है। अभी तक डाॅ. भट्ट की हिंदी में ‘अक्षरों का पुल’, ‘अनिक...

शशि शेखर जोशी को मिलेगा 2023 का युवा रचनाकार पुरस्कार

चित्र
अल्मोड़ा। कुमाउनी युवा लेखक शशि शेखर जोशी को इस वर्ष का 'कुसुम पंत स्मृति कुमाउनी युवा पुरस्कार'   दिया जाएगा। पुरस्कार चयन समिति के सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श के बाद उन्हें मातृभाषा कुमाउनी में लेखन के क्षेत्र में योगदान के लिए चुना गया है। समिति सचिव डॉ. हयात सिंह रावत ने जानकारी दी कि आगामी 04, 05 व 06 नवंबर 2023 को पिथौरागढ़ में आयोजित तीन दिवसीय 15 वें 'राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन' में उन्हें इस पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाएगा। यह सम्मेलन कुमाउनी भाषा की प्रसिद्घ मासिक पत्रिका 'पहरू' और 'कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति' की ओर से आयोजित हो रहा है।                                शशि शेखर जोशी 16 सितंबर 1978 को अल्मोड़ा जिले के पभ्या गांव में माता कमला जोशी व पिता षष्ठी दत्त जोशी के घर जन्मे शशि शेखर जोशी बचपन से ही प्रतिभाशाली रहे हैं। कुमाउनी भाषा में वे देश और अंतरराष्ट्रीय समसामयिक विषयों पर लेखन करते हैं। 'पहरू' पत्रिका के संपाद...

गिरीश चंद्र जोशी को मिलेगा ‘विक्टोरिया क्राॅस कै. गजे घले पुरस्कार’

चित्र
पिथौरागढ़। इस वर्ष का ’विक्टोरिया क्राॅस कै. गजे घले पुरस्कार’ गिरीश चंद्र जोशी को दिया जाएगा। यह पुरस्कार ‘कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति और ‘पहरू’ की ओर से आगामी 04, 05 व 06 नवंबर 2023 को पिथौरागढ़ में आयोजित 15 वां ‘राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन’ में दिया जाएगा। पुरस्कार चयन समिति के सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श के बाद अल्मोड़ा निवासी गिरीश चंद्र जोशी को कुमाउनी लेखन में उल्लेखनीय योगदान के लिए चुना गया है। समिति सचिव डाॅ. हयात सिंह रावत ने बताया की पुरस्कार के रूप में उन्हें पांच हजार एक सौ रूपये की नकद धनराशि, अंगवस्त्र व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।  गिरीश चंद्र जोशी 01 मई 1954 को अल्मोड़ा जिले के ग्रा.-घुराड़ी लोधिया में माता मोहिनी देवी और पिता श्री लीलाधर जोशी के घर जन्मे गिरीश चंद्र जोशी अपनी मातृभाषा कुमाउनी में लेखन में कई सालों से सक्रिय हैं। हिंदी और कुमाउनी में एक समान लेखनी चलाने वाले गिरीश जोशी का कुमाउनी के प्रचार-प्रसार में विशेष योगदान है। कुमाउनी मासिक पत्रिका ‘पहरू’ को देश भर में कुमाउनी जन-जन तक पहुंचाने में गिरीश जोशी का विशेष योगदान है। अ...

कुमाउनी पत्रकारिता का इतिहास History of kumauni journalism

चित्र
    ■ ललित तुलेरा tulera.lalit@gmail.com       कु माउनीक लै हौर भाषानकि चारि पत्रकारिताक आपण इतिहास छु। हालांकि कुमाउनीक खुद आपण पछिल करीब एक हजार सालोंक इतिहास छु पर पत्रकारिताक शुरूवात कुमाउनी में आज बै सिरफ आठ दशक पैंली हैछ। कुमाउनी में यै है पैंली कुमाऊं बै निकलणी साप्ताहिक अखबारों में क्वे बा्ंज कविता, गीत, किस्स छपी करछी। कुमाउनी में बिधिवत पत्रकारिताकि शुरूवात अल्माड़ नगर बै ‘ अचल ’ मासिक पत्रिका दगाड़ भैछ। य पत्रिकाक पैंल अंक फरवरी 1938 में निकलौ। जीवन चंद्र जोशी (24 अगस्त 1901- 30 अप्रैल 1980) य पत्रिकाक संपादक छी। उनार दगाड़ संपादनक काम में तारादत्त पांडे और धर्मानंद पंत लै छी। 'अचल' पत्रिकाक कबर           जब कुमाऊं अंचल बै यांकि लोकभाषा और एक जमान में राजभाषा में यस सार्थक काम हुणौछी तब ‘अचल’ पत्रिका लिजी बिख्यात रचनाकार रवीन्द्रनाथ टैगोर और रूसी कलाकार निकोलस रोरिक ल शुभकामना संदेश भेजी और ऊ ‘अचल’ में छपी। रवीन्द्रनाथ टैगोर ज्यूल लेखौ- ‘‘ ऐसी पत्र-पत्रिकाओं की बहुत आवश्यकता है जो भारतवर्ष के ...

डाॅ. आनंदी जोशी को मिलेगा ‘बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार

चित्र
पिथौरागढ़। इस वर्ष का ‘बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार’ डाॅ. आनंदी जोशी को दिया जाएगा। यह पुरस्कार ‘कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति और ‘पहरू’ की ओर से आगामी 04, 05 व 06 नवंबर 2023 को पिथौरागढ़ में आयोजित 15 वां ‘राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन’ में दिया जाएगा। कथा साहित्य पुरस्कार चयन समिति के सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श के बाद पिथौरागढ़ निवासी डाॅ. आनंदी जोशी  को कुमाउनी कथा साहित्य में उल्लेखनीय लेखन के लिए चुना गया है। समिति सचिव डाॅ. हयात सिंह रावत ने बताया की पुरस्कार के रूप में उन्हें पांच हजार एक सौ रूपये की नकद धनराशि, अंगवस्त्र व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।  डाॅ. आनंदी जोशी 05 जुलाई 1962 को पिथौरागढ़ के ग्रा.-चहज, गंगोलीहाट में माता सरस्वती जोशी और पिताजी श्री भोलादत्त जोशी के घर जन्मी डाॅ. आनंदी जोशी अपनी मातृभाषा कुमाउनी में लेखन में कई सालों से सक्रिय हैं। पिथौरागढ़ निवासी डाॅ. आनंदी जोशी का कुमाउनी में कहानी लेखन में विशेष योगदान है। वह कहानी के अलावा कविता, लेख आदि साहित्यिक विधाओं में कलम चलाती हैं। डाॅ. आनंदी जोशी अपने कहान...

हेमराज बिष्ट को मिलेगा ‘दिलीप सिंह खेतवाल स्मृति कर्मवीर पुरस्कार’

चित्र
पिथौरागढ़। इस वर्ष का ‘दिलीप सिंह खेतवाल स्मृति कर्मवीर पुरस्कार’ हेमराज बिष्ट को दिया जाएगा। यह पुरस्कार ‘कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति और ‘पहरू’ की ओर से आगामी 04, 05 व 06 नवंबर 2023 को पिथौरागढ़ में आयोजित 15 वां ‘राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन’ में दिया जाएगा। कर्मवीर पुरस्कार चयन समिति के सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श के बाद पिथौरागढ़ निवासी हेमराज बिष्ट को कुमाउनी संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय लेखन के लिए चुना गया है। समिति सचिव डाॅ. हयात सिंह रावत ने बताया की पुरस्कार के रूप में उन्हें पांच हजार एक सौ रूपये की नकद धनराशि, अंगवस्त्र व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।  हेमराज बिष्ट 12 मई 1964 को पिथौरागढ़ जिले के ग्रा.- डुंगरी-मिताड़ी में माता भागीरथी देवी और पिताजी श्री गोपाल सिंह बिष्ट के घर जन्मे हेमराज बिष्ट कुमाउनी संस्कृति को संवारने और आगे बढ़ाने में कई सालों से सक्रिय हैं। हेमराज बिष्ट ने वर्ष 1986 में ‘पर्वतीय सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कला समिति’ की स्थापना की, जिसे ‘नवोदय पर्वतीय कला केन्द्र’ रूप में  भी  जाना जाता है। उन्होंने पिथौरागढ़ की ...